Kunwer Sachdev

Founder Su-kam

कैसे गुल हुई ‘इनवर्टर मैन ऑफ इंडिया’ की कंपनी की बत्‍ती, एक गलती से डूबा 26 साल पुराना बिजनेस, डराने वाली है कहानी!

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यह बात है 1998 की, जब देश में बिजली संकट चरम पर था. गांव तो छोड़ो शहरों में बिजली जाने की समस्या बढ़ती ही जा रही थी. ऐसे में जरूरत थी एक ऐसे प्रोडक्ट की जो लोगों के लिए इस समस्या का समाधान पेश कर सके. दिल्ली में रहने वाले कुंवः सचदेव उस
समय केबल टीवी का बिजनेस करते थे, लेकिन बिना पॉवर बैकअप के यह बिजनेस किसी काम नहीं. लिहाजा उन्होंने केबल टीवी का बिजनेस छोड़कर पहली बार पॉवर बैकअप इनवर्टर बनाने वाली सू-कैम को स्थापित किया.

राह के पत्थरों से बनाई सफलता का सड़चर
हर बिजनेस की तरह यहां भी चुनौतियां कम नहीं थी. सचदेव का प्रोडक्ट मार्केट में आया तो 400 से अधिक लोगों ने इसमें खामियां बताकर वापस कर दिया. इन खामियों को दूरकर जब उन्होंने दोबारा अपना प्रोडक्ट मार्केट में उतारा तो उसने धूम मचा दी. इनवर्टर और ॥
कंप्यूअर यूबीएस जैसे उत्पादों ने उन्हें लोकप्रिय बना दिया और कारोबार भारत से निकलकर मिडिल ईस्ट, अफ्रीका, नेपाल, बांग्लादेश सहित कई देशों में फैल गया. इस प्रोडक्ट की खासियत यह थी कि इसे शून्य से लेकर 55 डिग्री के तापमान तक काम करने लायक बनाया
गया था.
फिर आए मुश्किलों वाले दिन
सू-कैम का बिजनेस लगातार ग्रोथ कर रहा था, तभी सचदेव के व्यक्तिगत कारणों की वजह से कंपनी पर चढ़ा करीब 240 करोड़ रुपये का कर्ज डिफॉल्ट हो गया. कंपनी के पास इस लोन को आसानी से चुकाने का मौका था और उतनी संपत्ति भी थी, लेकिन बैंकों ने
दिवालिया घोषित करने के लिए केस डाल दिया. इसके बाद जो हुआ वह काफी डराने वाला था.

डराती है सचदेव की हकीकत

कुंवर सचदेव ने बताया कि कंपनी के दिवालिया घोषित किए जाते ही इसकी कमान इनसॉल्वेंसी रेज्योलुशन प्रोफेशनल्स (आईआरपी) के हाथ सौंप दी गई. रातोंरात कंपनी के सभी डिस्ट्रीब्यूटर्स और कस्टमर्स को संदेश भेज दिया गया कि अब सर्विस नहीं मिलेगी और मेरी
आंखों के सामने ही 3 दशक की मेहनत से बनाई कंपनी बंद कर दी गई. एक ऐसी कंपनी जिसने अमेरिका और चीन की दिग्गज कंपनियों से मुकाबला कर अपना बाजार बनाया और भारतीय प्रोडक्ट को ग्लोबल पहचान दिलाई.

घ्थनमकाड |

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