31वीं वर्षगांठ 1986-2017
नया प्रयोग
1998 में कंपनी की शुरुआत ही इसलिए की कि बाजार में अच्छे इनवर्टर नहीं थे. खुद सचदेव के घर का इनवर्टर बार-बार खराब होता था. यहीं से बढ़िया इनवर्टर बनाने का आइडिया आया
अब तक निवेश
रिलायंस (अनिल अंबानी) और टीमसेक होल्डिंग ने निवेश किया
1,000 करोड़ रु. टर्नओवर, शुरू में अपने संसाधनों से धन जुटाया
और यह बात आइओटी सोलर डिवाइस में भी पूरी तरह लागू होती है.
1,000 करोड़ रु. के सालाना कारोबार वाली यह कंपनी बैटरी, इनवर्टर, सोलर पावर और यूपीएस के कारोबार के साथ अब वाहनों के क्षेत्र में उतरने वाली है. सचदेव ने अपने रिसर्च सेंटर में दिखाया कि सौर ऊर्जा से चलने वाला ई-रिक्शा तैयार हो रहा है. इसमें बैटरी इनवर्टर से चार्ज होगी और इनवर्टर को बिजली रिक्शे के ऊपर रखे सोलर पैनल से मिलेगी. सबसे बड़ी खूबी यह होगी कि यह ई-रिक्शा किसी चार्जिंग पॉइंट का मोहताज नहीं होगा. सचदेव बताते हैं कि उनके रिसर्च सेंटर में सोलर ट्रक की मशीन का भी काम चल रहा है. कंपनी ने अपने इनवर्टर आइओटी आधारित कर लिए हैं. सु-कैम के त्रिपुरा में लगे इनवर्टरों की निगरानी गुड़गांव में बैठे इंजीनियर कर रहे हैं. उन्हें फौरन पता चल जाता है कि कौन-सी यूनिट काम कर रही है या नहीं.
सु-कैम के रिसर्च विंग में बिजली का बिल जीरो है क्योंकि यहां सब कुछ सौर ऊर्जा से चल रहा है. कॉर्पोरेट ऑफिस भी सोलर इनवर्टर से बिजली पा रहा है.
कंपनी ने सौर ऊर्जा से चलने वाले ट्यूबवेल वाटर पंप भी विकसित कर लिए हैं जो गांवों में, जहां बिजली नहीं है, किसानों के लिए किसी वरदान से कम नहीं हैं.
सम्मान
इनोवेशन के लिए 2004-05 में मैरिको फाउंडेशन का अवॉर्ड, 2012-13 में एशियाज मोस्ट प्रॉमिसिंग ब्रांड अवॉर्ड के अलावा कई और सम्मान
जोखिम
सरकार वक्त पर पेटेंट नहीं देती इससे रिसर्च का सही फायदा नहीं
तकनीक चोरी जाने की आशंका, बैटरी पर अनुसंधान जरूरी
प्रतियोगिता
घरेलू बाजार में कुछ कंपनियों ने चुनौती पेश की है, हालांकि फौरी तौर पर इसका असर नहीं पर भविष्य में मुकाबला मुमकिन
सु-कैम को पहली बार 2004-05 में इनोवेशन के लिए कंपनी को मैरिको फाउंडेशन ने अवॉर्ड दिया. फिर तो कुंवर सचदेव मीडिया में जाना-माना नाम हो गया. 2012-13 में एशिया का मोस्ट प्रॉमिसिंग ब्रांड का अवॉर्ड. 2013 में एशियन लीडरशिप अवॉर्ड के अलावा कई सम्मान समय-समय पर मिले.
सरकार डिजाइन पेटेंट जल्दी देती है लेकिन टेक्नोलॉजी पेटेंट के मामले में भारत में हालत बेहद खराब है. सचदेव बताते हैं कि उन्होंने ‘हाइ फ्रीक्वेंसी लेड एसिड बैटरी चार्जर’ के पेटेंट का आवेदन 2004 में किया और पेटेंट 25 अगस्त 2017 को मिला जो कि बेमतलब है. वे इस रवैये पर झुंझलाते हुए कहते हैं, “यहां इनोवेशन का इकोसिस्टम नहीं है.” सचदेव ने 90 पेटेंट का आवेदन किया है. इनमें कई ऐसे हैं जो चीन की नजर में हैं. लेकिन भारत सरकार बेखबर है. फिर भी उनके हौसले कमजोर नहीं पड़ते.
सचदेव फिटनेस पर खास ध्यान देते हैं और इसी वजह से वे 2015 में दिल्ली में हुई मैराथन को दो घंटे से कम वक्त में पूरा करने में कामयाब रहे. वे अच्छे तैराक और सीटी से गाने की धुन निकालने में भी माहिर हैं. वे बचपन से ही सामाजिक और मददगार रहे हैं. सचदेव बताते हैं, “मैं मोहल्ले से
लेकर कॉलेज तक सबके काम कराया करता था तब दोस्त मुझे बेवकूफ समझते थे.” लेकिन अब फर्क जाहिर है.
सु-कैम के उत्पाद 70 देशों को निर्यात होते हैं. विदेशी कारोबार के संबंध में सचदेव बताते हैं कि एक बार वे इनवर्टर लेकर नाइजीरिया गए, वहां एयरपोर्ट पर उतरते ही पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. वजह पूछने पर उन्हें बताया गया कि इनवर्टर लाना इस देश में प्रतिबंधित है. वे बताते हैं, “सारा मामला घूस लेने का था. वे चाह रहे थे कि तीन सौ डॉलर मिल जाएं लेकिन मैंने 100 डॉलर देकर उस मुसीबत से छुट्टी पा ली.”
कंपनी का नाम जापानी जैसा लगता है लेकिन ऐसा है नहीं. यह कहानी सचदेव की कॉलेज लाइफ में शुरू हुई थी जब उन्होंने अपनी दोस्त के साथ इस नाम का ताना-बाना बुना था. इसे दोनों के नाम का मिला-जुला रूप कहा जा सकता है. सचदेव के गुड़गांव स्थित कॉर्पोरेट ऑफिस में काबिले गौर बात यह भी थी कि हर
फ्लोर पर चारों ओर दीवार पर एक लाइन से मढ़ी हुई कर्मचरियों की तस्वीरें लगी हुई हैं जिनमें खुद सचदेव नहीं हैं. वे कहते हैं, “मैं अपने वर्कर को सम्मान देता हूं. वर्कर सम्मान का भूखा होता है.” अपनी रिसर्च फैसिलिटी में पहली मंजिल पर पहुंचते ही सचदेव ने पृथ्वीराज नामक बुजुर्ग कर्मचारी से कहा, “आशीर्वाद दीजिए.” बुजुर्ग ने उनकी पीठ पर हाथ रखा तो सचदेव बोले, “पैर ठीक से आगे कीजिए अभी छू नहीं पा रहा हूं.” वर्कर के पैर छूते मालिक की मिसाल वाकई दुर्लभ है! सचदेव कहते हैं कि हमारे सिस्टम में सराहना का अभाव है. सिस्टम में क्रिकेटर और फिल्म स्टार की तो बहुत पूछ है लेकिन इनोवेटर को न कोई पूछता है और न उस स्तर का प्रोत्साहन मिलता है. वे बेबाकी से कहते हैं, “बदलाव लाने और इनोवेशन करने का काम सरकार नहीं, बल्कि हम जैसे लोग करते हैं.”
कुंवर सचदेव का पूरा जोर अब सोलर और रिसर्च पर है. उन्होंने अपना पूरा ध्यान डीजल जेनरेटर का विकल्प पेश करने पर लगा दिया है. उन्हें लगता है कि ऐसे जेनरेटरों का भविष्य उज्ज्वल नहीं है इसलिए सोलर इनवर्टर की मांग बढ़ने वाली है और सु-कैम इसके लिए पूरी तरह तैयार है.
– मनीष दीक्षित
13 दिसंबर 2017 | इंडिया टुडे | 69

Disclaimer: It is important to note that while Mr. Kunwer Sachdev founded Su-Kam Power Systems, he is no longer associated with the company as of 2019. Any information regarding his involvement in the company’s operations, strategies, or future plans reflects his tenure prior to that date. Therefore, any discussions or analyses of Su-Kam Power Systems should be considered in the context of his past contributions and not his current association with the company.